Saturday, April 16, 2011

शिव के राज में उमा का गाँव

  निष्ठुर सत्ता और सियासी वैमनस्य का जीता जागता उदाहरण है म.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का पेत्रक गांवं डूंडा | चारों तरफ से बड़े -बड़े पत्थरों और नंगे पहाड़ों से घिरे इस गाँव में कभी सत्ता की धमक होती थी | आज डूंडा को उमा भारती के राजनेतिक अवसान का दंड भुगतना पड़ रहा है | प्रदेश की शिवराज सरकार उमा से मनभेदों का बदला पूरे गाँव से ले रही हैं ऐसा यहाँ के लोंगों का स्पष्ट मानना है | शिवराज के राज में उमा के गाँव के क्या हाल हैं यह देखने के लिए जब मैं डूंडा पहुंचा तो लगा ही नहीं कि ये किसी पूर्व मुख्यमंत्री का गाँव है|  इस गाँव के बच्चे-बच्चे की जुबान पर एक ही बात है कि डूंडा सियासी वैमनस्य का शिकार हुआ है | उमा के पैत्रक घर की दहलीज पर अब न तो कोई अधिकारी जाता है न ही नेता | इस साल पूरा गाँव सूखे की चपेट में है | ग्रामीणों ने बताया कि ३५ सौ की आबादी वाले इस गाँव में कहने को तो २४ हेंड पम्प हैं पर केवल चार में ही कुछ कम चल रहा है बाकी के बंद हैं |  भरी गर्मी में १२ घंटे बिजली नही रहती | खुद उमा भारती  के भाई अमृत सिंह लोधी  शिवराज के मंत्रियों की दादागिरी से परेशान हैं | बाइक चोरी जैसे मामूली अपराधों में वे मुलजिम बना दिए जाते हैं | उनका कहना है कि शिवराज तो ठीक उनके मंत्री भी पुलिस के जरिये उनको और डूंडा के लोगों को प्रताड़ित करते हैं | विकास के सारे काम इस गाँव में ठप्प हो चुके हैं | जिस दहलीज पर कलेक्टर आये दिन दुःख दर्द पूछने आता था उसने आँखे फेर ली हैं | अगर आप डूंडा जाना भी चाहें और अपना वाहन न हो तो पहुंचना आसान नहीं क्योंकि इस गाँव में बसें नही चलती पहले दो बसें चलती थीं जो बंद हो चुकी हैं | मजे की बात ये है कि आज तक यहाँ कभी भी शिवराज सिंह नहीं आये | अगर कभी आसपास कार्यक्रम हुआ भी तो यहाँ नहीं पहुंचे | पूरा गाँव पानी ,बिजली , विकास योजनाओं सरकारी मदद  के लिए रो रहा है | उमा के एक भाई स्वामी लोधी सन्यासी हो गये हैं |उन्होंने तो अपना नाम तक बदल लिया है | अब वे स्वामी लोधी से स्वामी विशुद्दानंद हो गये हैं | कुल मिला कर उमा बिना उनका डूंडा अनाथ और बेसहारा हो चुका है |

No comments:

Post a Comment