Friday, December 17, 2010

आतंक की जाति और धर्म

क्या आतंक की भी कोई जाति या धर्म होता है ? इस सवाल पर लोगों के अपने अपने विचार हो सकते हैं लेकिन सियासत में इसके मायने सिर्फ अपनी रोटी सेंकना होता है | आतंकवादी घटनाओं में ये सच बात है कि जितने भी लोग पकड़े गये हैं उनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं जिस से एक धारणा बन गई है कि यह पूरी कौम ही आतंकी है | यह पूरा सच नहीं है | हिंदुत्व की राजनीति करने वालों ने इसे मुस्लिम आतंकवाद के रूप में प्रचारित किया | उधर कांग्रेस की तरफ से इसका जवाब हिन्दू आतंकवाद के रूप में दिया गया |साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, आर एस एस से जुड़े इन्द्रेश को घेर कर कांग्रेस ने भगवा या हिन्दू आतंकवाद का इतना प्रचार किया कि ऐसा लगने लगा जैसे हिदुओं को आतंकी ठहराने की जिद सी ठान ली गई है| हैरानी की बात यह है कि ऐसा करने वाले भी हिन्दू ही हैं | सियासत में कम करने वाले पता नहीं इस बात को क्यों स्वीकार नहीं करते कि आतंक, आतंकवादी और किसी भी अपराधी की कोई जाति,देश,धर्म नहीं होता | वह अपनी हरकतों को पाकिस्तान से भी अंजाम देता है तो अफगानिस्तान से भी,वह लोगों की जान हिंदुस्तान में भी लेता है और रशिया  में भी | जो आतंक के रास्ते पर है वो अपने मकसद के लिए हिदुओं को भी मारता है और मुसलमानों को भी | उसका निशाना मंदिर भी होते हैं और मस्जिद भी, फिर कहाँ है मुस्लिम या हिन्दू आतंकवाद | सच तो यह है की आतंकवाद की जाति नेताओं ने बांटी है | धर्म से भी उन्होंने ही जोड़ा है| विकिलिस से  राहुल गांधी यही बात कहते हैं तो दूसरी तरफ आये दिन दिग्विजय सिंह भगवा आतंकवाद की बात दोहराते हैं | देश के गृह मंत्री भी पीछे नहीं रहते मौका मिलते ही आग  में घी डालते हैं | ऐसा कम ही देखने को मिला है जब आतंकवाद के मुद्दे पर सभी दलों के नेता एक स्वर में बोले हों | यदि कहीं विस्फोट हो जाता है तो सिर्फ एक दुसरे के खिलाफ बयानबाजी के कुछ नजर नहीं आता | हाल ही में वाराणसी में विस्फोट हुआ तो यूपी की सीएम मायावती ने यह  कह कर पल्ला झाड़ लिया कि केंद्र से ऐसी कोई सूचना नहीं थी , केंद्र  के नेताओं ने कहा यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है |बहरहाल हिदुओं को आतंकी साबित करने की यह चाल आत्मघाती साबित हो सकती है | बात फिर वही है कि आतंकी की कोई जाति या धर्म नहीं होता |  

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